‘एक लडका काशीके ‘हरिश्चंद्र हाइस्कूल’में पढता था । उसका गांव काशीसे ८ मील दूर था । वो वहांसे प्रतिदिन पैदल पाठशाला जाता । रास्तेमें गंगा नदी पार करनी पडती थी । उस समय गंगा पार करवानेके लिए नाववाला दो पैसे लेता था । दो पैसे जानेके और दो वापस आनेके, यानी एक आना; इस हिसाबसे प्रतिमाह लगभग दो रुपये । उस समय सोनेका मूल्य सौ रुपये प्रति तोलेसे भी न्यून था, इसलिए यह राशी भी बहुत अधिक लगती थी ।
माता-पितापर...
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